मोटिवेशनल सुविचार जो जिन्दगी बदल दे | Best Suvichar Inspirational Motivational in Hindi

Samrat India Portal 02 Dec 2021 | 10:10 pm

 

हर मनुष्य "राम" बन सकता है।

आवश्यकता केवल इतनी à¤¹à¥ˆ कि, उसे अपने अंदर के "रावण" को पहले हराना होगा।


अच्छे संस्कार किसी से नहीं, परिवार के महौल से मिलते हैं।


जीवन मिलना ये भाग्य पर निर्भर है मृत्यु आना यह समय पर निर्भर है।

किन्तु

मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जिन्दा रहना यह अपने कर्मों पर निर्भर है।


लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या ना हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग में, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो, उठो जागो और तब तक रूको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त नहीं हो जाये।- स्वामी विवेकानन्द


मुस्कुराहट एक ऐसा उपहार है, जिसमें देने वाला कुछ जाता नहीं और लेने वाला नीहाल हो जाता है।


माँ रोती थी, जब रोटी नहीं खाता था बेटा।

माँ आज भी रोती है जब रोटी नहीं खिलाता बेटा।।


धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी। जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थानों को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है।


जब छोटे थे हर बात भूल जाया करते थे, तब दुनिया कहती थी कि "याद करना सीखो"

अब बङे हुए तो हर बात याद रहती है, तो दुनिया कहती है कि "भूलना सीखो"

कैसी अजीब दुनिया है


कद्र होती है इंसान की, जरूरत पङने पर ही...

बिन जरूरत तो हीरे भी तिजोरी में रखे रहते हैं।


आज हमें केवल सुख नहीं चाहिए.............

बल्कि आसपास के लोगों की अपेक्षा अधिक सुख चाहिए।


जिसके पास अच्छे मित्र है, उसे दर्पण की जरूरत नहीं होती।


किसी के सुख का कारण बनो, भागीदार नहीं।

पर दु:ख का भागीदार बनो, कारण नहीं।


डर सबसे बङी बाधा है, सफल होने  के लिए नीडर होना पहली जरूरत है।


वजुद अपना जब हम खुद ही मिटा देते हैं।

तो खुदा अपनी सल्तनत में बुला लेता à¤¹à¥ˆà¤‚।


इश्क गर्म चाय की तरह है और दिल पारले-जी बिस्कुट की तरह..

हद से ज्यादा डुबाओगे तो टूट जायेगा।


हर आदमी के मन के अंदर एक सिकंदर होता है

जो सारी दुनिया को जीतना चाहता है ये जानते हुए भी कि एक दिन खाली हाथ जाना है।


हमारा इस दुनिया में एक ही दोस्त होता है à¤µà¥‹ कोई और नहीं, हम खुद हैं।


किसी दु;खी व्यक्ति के लिए थोङी सहायता ढेरों उपदेशों से कहीं ज्यादा अच्छी है।


हमारा आत्म विश्वास हम ही विकसित कर सकते हैं कोई दूसरा नहीं।


क्रोध हवा का वह झोंका है जो बुद्धी के दीपक को बुझा देता है।


सत्य परेशान जरूर होता है लेकिन पराजित नहीं।


दो अक्षर का होता है 'लक'

ढाई अक्षर का होता है 'भाग्य'

तीन अक्षर का होता है 'नसीब'

साढे तीन अक्षर की होती है 'किस्मत'

लेकिन ये चारो अक्षर, चार अक्षर 'मेहनत' से छोटे हैं।


एक कागज उसके "नसीब" से आसमान में उङता है, लेकिन पतंग उसकी 'काबिलियत' से

इसलिए नसीब साथ दे या ना दे लेकिन 'काबिलियत' जरूर साथ देती है।


जिंदगी हँसाये तब समझना कि अच्छे कर्मों का फल मिल रहा है

सिर्फ आसमा छू लेना ही सफलता नहीं है...।

और

जब जिंदगी रूलाये तब समझ लेना कि अब अच्छे कर्म करने का समय आ गया है..।।


सफलता तो इसमें है कि आसमा भी छू लिया जाए, और कदम भी जमी पर रहे।


एक माँ शिक्षित या अशिक्षित हो सकती है, परन्तु वह एक अच्छी शिक्षक है जिससे बेहतर, स्नेह à¤”र देखभाल करने का पाठ और किसी से नहीं सिखा जा सकता है।


-------हमारा जन्मदिन-------

हमारी जिंदगी का वो एकलोता दिन जब हमारी माँ हमारे रोने पर मुस्कराई होगी।


अपनी ताकत के साथ लङो अन्य कि कमजोरी के साथ नहीं।

क्योकिं...

सच्ची सफलता अपने प्रयासों में निहित है, दूसरे की हार में नहीं।


पेन्सिल का इस्तेमाल करते थे, जब हम छोटे थे, पर अब पेन का इस्तेमाल किया करते हैं,

आपको पता है क्यों...?

क्योकिं बचपन में गलतियाँ मिट सकती थी पर अब नहीं...


उन पर ध्यान मत दीजिये जो आपकी पीठ à¤ªà¥€à¤›à¥‡ बात करते हैं।

इसका सीधा सा अर्थ है...आप उनसे दो कदम आगे हैं...।।


जीवन में इतनी ज्यादा गलतियाँ à¤¨à¤¾ करें कि गलतियों को मिटाते-मिटाते माफी का रबर घीस जाए।


'इंसान' एक दुकान है और 'जुबान' उसका ताला।

ताला खुलता है। तभी मालुम होता है कि दुकान सोने की है या कोयले की।


खुद को कमजोर कहने की हिम्मत तो रही नहीं, इसलिए सभी कहते हैं कि जमाना ही खराब है।


खूबसूरती हमेशा देखने वाले के मन और नजरों में होती है, वरना गलती निकालने वालों को तो ताजमहल में भी कमी नजर आती है।


जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।

अत: व्यक्ति को वहीं सोचना और करना चाहिए, जैसा वह बनना चाहता है।।


नीयत कितनी भी अच्छी हो, दुनिया आपको आपके दिखावे से जानती है।

और दिखावा कितना भी अच्छा हो, भगवान आपको आपकी नीयत से जानता है।


सत्कर्मों में डूबे रहना ही सही अर्थों में जिंदगी से प्यार करते रहना है।


एकबार एक विदेशी ने स्वामी जी से कहा- यदि आप अच्छे वस्त्र नहीं पहनते हैं, तो आप कभी भी सभ्य नही बन सकते हैं।

इस पर स्वामी जी ने कहा- आपकी संस्कृति में वस्त्र व्यक्ति को सभ्य बनाते होंगे।

परन्तु हमारी संस्कृति में व्यक्ति का चरित्र उसे सभ्य बनाता है।


हाथ से फेंका पत्थर 200 फीट दूर जाता है।

बंदूक की गोली 1000 फीट दूर जाती है।

तोप का गोला 5 मील दूर जाता है।

लेकिन..........

एक गरीब को दिया हुआ रोटी का टुकङा तो, स्वर्ग के द्वार तक जाता है।


जिंदगी से आप जो भी बेहतर ले सको, ले लो...।

क्योंकि...जिंदगी जब लेना शूरू करती है, तो सांसे भी नहीं छोङती...।।


 

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